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Sunday, 1 May 2016

खुद पे यकीं तो कर एक बार


क्या ये मुसाफिर चाहे
चाह के भी कह न पाये
कोशिश तो सारी की
पर मुकाम हासिल कर न पाये।
पर युही थक के रुक जाना ये तो तेरी कहानी नहीं।।
सबका तो पता नहीं पर तेरा ये अफसाना नहीं
सब न सही तो मैँ ही सही
अकेले ही बढ़ती जाउंगी
कारवां बनना होगा तो बन ही जायेगा
न बन पाया तो वो भी सही
न गम न अफसोस
मुझसे आगाज ही सही।
पर युही थक के रुक जाना तो तेरी कहानी नहीं।।
पहचानने की भूल हो भी गई तो क्या
पथ वो लेना भी ज़रूरी था
समय की समझ से
ये समझना भी ज़रूरी था
"खुद पे यकीं तो कर एक बार "
खुद का साथ तो दे एक बार
दुनिया भी करेगी अनुगमन फिर तेरा
बस रखना तू
खुद पे यकीं बरक़रार।।


Image Source-1.bp.blogspot.com


Thursday, 11 February 2016

Within Those Eyes


Light or dim
I see the whole worlds glimpse ,
merging in the eyes blink.
Looking upon your eyes
I see the threads of emotions,
weaving in the feeling sky
of once barren glebe,
molding into paradise,
like blonde inveteracy
'within those eyes'
 adding one more reply 
in natures invite
to calibrate the smallest excerpt...
Image Source- deviantart.net

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