खुद से किया वादा निभाऊँगी
संजोएं हर एहसास को
जब तक मुमकिन हुआ रख पाऊँगी
पर इतनी देर ना करना कि
इंतज़ार के बादलों में यादें धुमिल हो जाए।
उम्मीद का सूरज अस्त हो जाए
फिरअगली सुबह मिलेंगे ज़रूर
पर इतनी देर ना करना
उन राहो की मैं पथिक बन जाऊँ
जहाँ से लौट आना मुमकिन ना हो।।
टूटता तो ब्रह्मांड का हर अंश हैं
फिर मैं क्या हूँ
बस इतनी देर ना करना
कि इस कदर बिख़र जाऊँ
तुम चाह कर भी समेट ना पाओ ।।
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