Saturday 30 July 2016

बारिश की कुछ नन्ही बुँदे


बारिश  की कुछ नन्ही बुँदे 
आ मिली धरती से यूँ 
की फैली सौंधी-सौंधी खुश्बू चारो ओर ,
 बूंदो को देख तारकोल  के मंच पर 
उतरे नन्हे छबीकर ,
उस दृश्य में छिपा एक व्रतांत
प्रकर्ति का वो आवश्यक कर्त्तान्त 
देख  रही एक फनकार  
 विडंबना ये कैसी
बारिश की ये नन्ही बुँदे कहीं ,
 दे रही नवजीवन का अहसास 
तो कहीं बन रही त्राहि का निकास।।
  Image Source-cdn.pcwallart.com
 

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